Bharti Bhawan Class 10 Biology Chapter 5 Question Answer | लघु उत्तरीय प्रश्र | Pdf download
1. जीवों के अंगों एवं अंगतंत्रों के कार्यों का समन्वय एवं नियंत्रण क्यों जरूरी होता है?
उत्तर : बहुकोशिकीय जीवों की संरचना अत्यन्त जटिल होती है। उनके शरीर के विभिन्न बाहरी और भीतरी अंगों की विशिष्ट कार्यप्रणालियों और गतिविधियों में तालमेल की परमावश्यकता होती है। अंगों के नियंत्रण और समन्वय के द्वारा ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सकती है। जीवों की जटिल प्रकृति के कारण ही वे उन तंत्रों का उपयोग करते हैं जो नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं। विशिष्टीकरण ऊतक का उपयोग नियंत्रण और समन्वय में सहायक सिद्ध होता है
2. जिबरेलिन्स की मुख्य उपयोगिता क्या है?
उत्तर : जिबरेलिन का मुख्य कार्य :—
- कोशिका-विभाजन एवं कोशिका-दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं। इनके उपयोग से वृहत आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है
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3. ऑक्जिन की उत्पत्ति कहाँ होती है?
उत्तर : ऑक्जिन पौधों के स्तंभ-शीर्ष (stem tip) पर मुख्यतः संश्लेषित होनेवाले कार्बनिक यौगिक है |
4. वृद्धि-नियंत्रक पदार्थ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : वृद्धि-नियंत्रक पदार्थ से तात्पर्य उन रासायनिक पदार्थों से है, जो पौधों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित, प्रभावित या संशोधित करते हैं। इन्हें पादप हार्मोन या पादप वृद्धि नियामक भी कहा जाता है।
5. अगर स्तंभ-शीर्ष काट दिया जाए तो पौधों पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर : अगर किसी पौधे का स्तंभ-शीर्ष काट दिया जाए तने की वृद्धि रूक जाएगी क्योंकि स्तंभ-शीर्ष में ऑक्जिन हार्मोन का निर्माण होता है, जो तने की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
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6. साइटोकाइनिन की कोशिका-विभाजन में क्या उपयोगिता है?
उत्तर : साइटोकाइनिन की कोशिका-विभाजन में उपयोगिता:
(i) साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को उत्तेजित करता है, जिससे पौधे की वृद्धि और विकास होता है।
(ii) यह नए ऊतकों के निर्माण और ऊतक संवर्धन में सहायक होता है।
7. छुई मुई की पत्तियाँ किस गति को दर्शाती है? हमारी टाँगों की गति से यह कैसे भिन्न है?
उत्तर : छुई-मुई की पत्तियाँ "संवेदनशील गति" को दर्शाती हैं। जो बाहरी स्पर्श के कारण होती है। हमारी टाँगों की गति "स्वैच्छिक गति" होती है, जो मस्तिष्क के नियंत्रण में होती है, जबकि छुई-मुई की गति पौधे में हार्मोनल और जल संतुलन परिवर्तन के कारण होती है।
8. पौधों में प्रकाश-अनुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर : पौधों में प्रकाश-अनुवर्तन निम्न प्रकार होता है:
(i). प्रकाश की दिशा में वृद्धि : –
- तना प्रकाश की ओर मुड़कर बढ़ता है, जिसे धनात्मक प्रकाश-अनुवर्तन कहते हैं।
(ii). प्रकाश की विपरीत दिशा में वृद्धि –
- जड़ प्रकाश से दूर बढ़ती है, जिसे ऋणात्मक प्रकाश-अनुवर्तन कहते हैं।
9. जंतुओं के शरीर में स्थित तंत्रिका तंत्र का क्या काम है?
उत्तर : तंत्रिका तंत्र अधिकांश जंतुओं में विभिन्न प्रकार की आंतरिक संवेदना या उद्दीपन ; जैसे प्यास, भूख, तृष्णा, रोग इत्यादि तथा बाह्य संवेदना या उद्दीपन जैसे- भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक या विद्युतीय प्रभावों को ग्रहण करने, शरीर के विभिन्न भागों में उनका संवहन करने तथा संवेदनाओं की प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए अंगों को प्रेरित करने का कार्य करते हैं।
उच्च स्तरीय जंतुओं में तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क, मेरुरज्जुया स्पाइनल कॉर्ड तथा विभिन्न प्रकार की तंत्रिकाओं से बना होता है। कुछ निम्न स्तरीय जंतुओं (जैसे हाइड्रा) में मस्तिष्क तथा स्पाइनल कॉर्ड नहीं पाए जाते हैं। परंतु, नियंत्रण और संवहन की क्रिया दोनों में मूल रूप से एक ही होती है। अतः, सभी जंतुओं में तंत्रिकीय नियंत्रण और संवहन के लिए प्रयुक्त रचनाओं की इकाई तंत्रिका कोशिका ही है।
10. मनुष्य के तंत्रिका तंत्र के विभिन्न भाग कौन-कौन-से हैं तथा ये किन-किन रचनाओं से बनते हैं?
उत्तर : मनुष्य के तंत्रिका तंत्र के विभिन्न भाग और उनकी रचनाएँ
(i) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS ) —
- इस तंत्र में मस्तिष्क तथा रीढ़ रज्जु सम्मिलित हैं।
(ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र ( PNS ) —
- इस तंत्र में तंत्रिकाएँ सम्मिलित हैं। जो मस्तिष्क और मेरुदंड से जुड़ी होती हैं।
(iii) स्वायत तंत्रिका तंत्र (ANS ) —
- इसके दो प्रकार हैं-
(a) अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र
(b)परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र
11. मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर : मस्तिष्क के महत्वपूर्ण कार्य:
(i) मस्तिष्क शरीर की सभी स्वैच्छिक और अस्वैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय करता है।
( ii ) यह सोचने, समझने, याद रखने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
( iii ) मस्तिष्क इंद्रियों (आंख, कान, त्वचा आदि) से मिली जानकारी को संसाधित करता है और उचित प्रतिक्रिया देता है।
(iv) सेरिबेलम शरीर की चाल और संतुलन बनाए रखता है।
(v) यह भावनाओं (जैसे खुशी, दुख, भय) और हार्मोन स्राव को नियंत्रित करता है।
12. मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखें।
उत्तर : मनुष्य के शरीर में पाई जानेवाली अतःस्रावी ग्रंथियाँ निम्लिखित प्रकार का होता हैं —
(i) . पिट्यूटरी ग्रंथि
(ii) . थाइरॉइड ग्रंथि
(iii). पायथाइरॉइड ग्रंथि
(iv ) एड्रीनल ग्रंथि
(v) अग्न्याशय की लैंगरहेंस की द्वीपिकाएँ
(vi) जनन ग्रंथियाँ : —
(a) अंडाशय
(b) वृषण
13. पिट्यूटरी ग्रंथि मास्टर ग्रंथि क्यों कहलाती है?
उत्तर : पिट्यूटरी ग्रंथि को "मास्टर ग्रंथि" इसलिए कहा जाता है क्योंकि:
(i) यह अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों जैसे थायरॉयड, अधिवृक्क और प्रजनन ग्रंथियों के कार्यों को नियंत्रित करती है।
(ii) यह वृद्धि हार्मोन, थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (TSH) और एड्रीनोकॉर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH) आदि का स्राव करती है, जो शरीर की वृद्धि, चयापचय और प्रजनन को नियंत्रित करते हैं।
14. हॉर्मोन थाइरॉक्सिन का क्या महत्त्व है?
उत्तर : हॉर्मोन थाइरॉक्सिन का महत्त्व निम्लिखित है:
थाइरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय (metabolism) को नियंत्रित करता है।
यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों आदि के विकास के लिए आवश्यक है।
इसकी कमी से मानसिक वृद्धि प्रभावित होती है।
थाइरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। आयोडीन की कमी से थाइरॉक्सिन का निर्माण कम हो जाता है, जिससे थाइरॉइड ग्रंथि बढ़ सकती है, जिसे घेघा या गलगंड कहते हैं।
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