Bharati Bhawan Class 10 Biology Chapter 8 Questions Answer | लघु उत्तरीय प्रश्र - Short Type Questions | हमारा पर्यावरण | Our Environment
भारती भवन जीवविज्ञान कक्षा 10 अध्याय - 8 ; हमारा पर्यावरण
1. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का क्या कार्य है?
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का कार्य :—
➥ वे हरे पेड़-पौधे जो प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया से सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ का निर्माण कर सकते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं। शैवाल, घास, पेड़ इत्यादि (हरे पौधों) वैसे सजीव हैं, जिनमें - प्रकाश-संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता है। ये सूर्य की प्रकाश-ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा के रूप में ग्रहण कर क्लोरोफिल की उपस्थिति में ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट के रूप में हरे पौधों के उत्तकों में संचित रहता है। पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक भोजन उत्पादित करते हैं।
2. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : आहार श्रृंखला :–
➥ एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित श्रृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है। जीवों की इस श्रृंखला को आहार श्रृंखला कहते हैं
आहार श्रृंखला, श्रृंखलाबद्ध तरीके से एकपथीय दिशा में व्यवस्थित वैसे जीवों के समूह हैं जिनमें एक जीव, श्रृंखला में अपने से ठीक नीचे स्थित जीव को खाता है तथा स्वयं उसी श्रृंखला में अपने से ठीक ऊपर स्थित जीव के द्वारा खाया जाता है।
3. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण देकर विभिन्न पोषी स्तर को बताएँ।
उत्तर : पोषी स्तर :—
➥आहार श्रृंखला में कई स्तर होते हैं तथा हर स्तर पर भोजन (ऊर्जा) का स्थानांतरण होता है। आहार श्रृंखला के इन्हीं स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं।
➥ आहार श्रृंखला के उत्पादक (हरे पौधे) प्रथम पोषी स्तर है।
➥ शाकाहारी जंतु (प्राथमिक उपभोक्ता) द्वितीय पोषी स्तर है।
➥ मांसाहारी जंतु (द्वितीयक उपभोक्ता) तृतीय पोषी स्तर
➥ उच्चतम श्रेणीवाले मांसाहारी जंतु (तृतीयक उपभोक्ता) चतुर्थ पोषी स्तर हैं।
➥ एक वन पारिस्थितिक तंत्र में , चार पोषी स्तर होते है
घास → टिड्डा → मेंढक → साँप → बाज
4. आहार जाल का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर : आहार जाल : —
➥ पारिस्थितिक तंत्र में सामान्यतः एक साथ कई आहार श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। ये आहार श्रृंखलाएँ हमेशा सीधी न होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल-सा बनाती हैं। आहार श्रृंखलाओं के इस जाल को आहार जाल कहते हैं।
5. पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्ता की क्या भूमिका होती है?
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्ता की भूमिका : —
➥ जीवाणु और कवक अपघटनकर्ता या अपमार्जक कहलाते हैं। ये पौधों और जंतुओं के मृत शरीर तथा जंतुओं के वर्ज्य पदार्थों में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अपघटित कर अकार्बोनिक तत्त्वों में तोड़कर मुक्त कर देते है । जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव सूक्ष्मउपभोक्ता या सैप्रोट्रॉफ भी कहलाते हैं।
6. उत्पादक एवं उपभोक्ता में क्या अंतर है?
उत्तर : उत्पादक एवं उपभोक्ता में अंतर :
7. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएँ।
उत्तर
सूर्य
↓
[उत्पादक] → पौधे, घास
↓
[प्राथमिक उपभोक्ता] → शाकाहारी जानवर (जैसे हिरण, गाय)
↓
[द्वितीयक उपभोक्ता] → मांसाहारी (जैसे मेंढक, साँप)
↓
[तृतीयक उपभोक्ता] → शीर्ष मांसाहारी (जैसे शेर, बाज)
↓
[अपघटक] → फफूंदी, जीवाणु, केंचुआ (मृत जीवों को विघटित करते हैं )
8. जैव आवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर : जब हानिकारक एवं जैव-अविघटनीय रासायनिक पदार्थ (जैसे कीटनाशक) आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषी स्तरों में क्रमशः एकत्र होते जाते हैं और उनकी मात्रा बढ़ती जाती है, तो इस प्रक्रिया को जैव-आवर्धन कहते हैं। इससे अंतिम उपभोक्ता, विशेषकर मनुष्य, पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
9. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है?
उत्तर : जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट जैसे प्लास्टिक, धातुएँ और रासायनिक कीटनाशक प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते। ये भूमि, जल और वायु को प्रदूषित करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है, जल स्रोत विषाक्त हो जाते हैं और जंतु तथा मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
10. कचरा प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?
➥ कचरा प्रबंधन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
(i) कचरे का वर्गीकरण:
कचरे को जैव अपघटनीय और अजैव अपघटनीय में अलग-अलग करके निपटाया जाए।
(ii) . पुनर्चक्रण :
प्लास्टिक, कागज, धातु आदि को पुनः उपयोग के लिए प्रोसेस करना।
(iii) सार्वजनिक जागरूकता :
लोगों को स्वच्छता और कचरा प्रबंधन के प्रति जागरूक बनाना।
11. ओजोन क्या है? इसके स्तर में अवक्षय होने से हमें क्या नुकसान हो सकता है?
उत्तर : ओजोन (O₃) वायुमंडल की एक गैस है, जो पृथ्वी के ऊपर की वायुमंडलीय परत में पाई जाती है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है।
ओजोन परत के अवक्षय से नुकसान :
➥ ओजोन पृथ्वी पर रहनेवालेजीवधारियों को सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण कर लेता है जो मनुष्य में त्वचा-कैंसर, मोतियाबिंद तथा अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन को जन्म देती है।
12. अगर किसी पोषी स्तर के सभी जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो इसका पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार-श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी, उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी। वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है
13. ऐरोसॉल रसायन के हानिकारक प्रभाव क्या हैं?
उत्तर : ऐरोसॉल , स्प्रे डिब्बों, परफ्यूम, कीटनाशकों, और अन्य उत्पादों के माध्यम से वायुमंडल में छोड़े जाते हैं। ऐरोसॉल में मौजूद क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) गैसें ओजोन परत को नष्ट करती हैं, जिससे सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुँचने लगती हैं।
14. जैव अनिम्नीकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है? उदाहरणसहित समझाएँ।
उत्तर : जैव अनिम्नीकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में अंतर :
15. निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है?
उत्तर : निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है क्योंकि ऊर्जा का प्रवाह एक पोषी स्तर से अगले स्तर तक सीमित मात्रा में होता है। लगभग 90% ऊर्जा हर स्तर पर जीवन क्रियाओं में नष्ट हो जाती है और केवल 10% ऊर्जा ही अगले स्तर तक पहुँचती है। इसलिए ऊपरी पोषी स्तर के जीवों को पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अधिक संख्या में निचले स्तर के जीवों की आवश्यकता होती है। इसी कारण निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या सामान्यतः अधिक होती है।
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