Class 10 Chemistry Chapter 4 Bharati Bhawan – Long Type Questions Solutions
1. कार्बनिक रसायन क्या है? जीवन शक्ति का सिद्धांत क्या है? इस सिद्धांउत्तर : कार्बनिक रसायन :
Ans : कार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसमें कार्बन-आधारित यौगिकों का अध्ययन किया जाता है।
इसमें हाइड्रोजन के साथ बने कार्बनिक यौगिक जैसे— अल्केन, अल्कीन, अल्काइन, ऐल्कोहॉल, अम्ल, ईथर, एस्टर, शर्करा, प्रोटीन, वसा आदि का अध्ययन किया जाता है।
जीवन-शक्ति का सिद्धांत :
जीवन-शक्ति सिद्धांत का प्रतिपादन जर्मन वैज्ञानिक बेर्गेलियस (Berzelius) ने किया था।
इस सिद्धांत के अनुसार—
“कार्बनिक यौगिक केवल जीवित प्राणियों के शरीर में ही एक विशेष ‘जीवन-शक्ति’ (Vital Force) की उपस्थिति में बन सकते हैं। इन्हें प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है
यह सिद्धांत 1828 में जर्मन रसायनज्ञ फ्रेडरिक वोह्लर (Friedrich Wöhler) के प्रयोग से समाप्त हो गया। उन्होंने अकार्बनिक यौगिक अमोनियम सायनेट (NH₄CNO) को गर्म करके कार्बनिक यौगिक यूरिया (NH₂CONH₂) तैयार कर लिया, जो पहले केवल जीवित शरीर में ही बनने वाला माना जाता था।
2. कार्बनिक यौगिकों के स्रोत एवं महत्त्व का उल्लेख करें।
कार्बनिक यौगिकों के स्रोत :
इनके मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं—
(i). पौधे :
➥ पौधों से कार्बोहाइड्रेट, शर्करा, स्टार्च, तेल, वसा, रबर, रेज़िन, टैनिन, कागज आदि कार्बनिक पदार्थ प्राप्त होते हैं।
(ii). जन्तु :
➥ जानवरों से प्रोटीन, वसा, हार्मोन, हड्डियों का गोंद, चमड़ा, ऊन, दूध, दही, मोम, शहद आदि कार्बनिक पदार्थ मिलते हैं।
(iii). जीवाश्म ईंधन :
➥ कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि कार्बनिक पदार्थों के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन्हीं से पेट्रोल, डीज़ल, मोम, डामर, प्लास्टिक तथा अनेक रसायन बनाए जाते हैं।
(iv).. प्रयोगशाला :
➥ आज बड़ी संख्या में कार्बनिक यौगिक प्रयोगशाला में संश्लेषित (सिंथेसाइज़) किए जाते हैं।
उदाहरण— यूरिया, दवाइयाँ, रंग, प्लास्टिक, उर्वरक आदि।
कार्बनिक यौगिकों का महत्त्व :
(i).. जीवन के मूल घटक :
➥ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन आदि सभी कार्बनिक यौगिक हैं, जो शरीर की वृद्धि व ऊर्जा के लिए आवश्यक हैं।
(ii). ईंधन के रूप में उपयोग :
➥ पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, कोयला आदि मुख्य ईंधन हैं— सभी कार्बनिक पदार्थ हैं।
(iii). औषधियों का निर्माण :
➥ अधिकांश दवाइयाँ, एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, विटामिन टैबलेट, एंटीसेप्टिक आदि कार्बनिक यौगिकों से बनते हैं।
(iv). उद्योगों में उपयोग :
➥ कार्बनिक यौगिकों का उपयोग प्लास्टिक, रबर, पेंट, बारूद, कीटनाशक, सौंदर्य प्रसाधन (कॉस्मेटिक), परफ्यूम, साबुन, डिटर्जेंट आदि के निर्माण में किया जाता है।
(v). कृषि में उपयोग :
➥ यूरिया, कीटनाशक, खरपतवार नाशक, उर्वरक आदि सभी कार्बनिक यौगिक हैं, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने में सहायक हैं।
3. आयनिक यौगिक और कार्बनिक यौगिक में भेद बताएँ।
आयनिक यौगिक |
कार्बनिक यौगिक |
|---|---|
| (i). ये धनायन व ऋणायन से मिलकर बनते हैं। (ii). इनमें आयनिक बंधन होता है (iii). इनका गलनांक व क्वथनांक अधिक होता है। (iv). ये पानी में घुलनशील होते हैं। (v). विलयन में विद्युत के अच्छे चालक होते हैं। (vi). सामान्यतः गंधहीन होते हैं। (vii). प्रायः अज्वलनशील होते हैं। |
(i). ये मुख्यतः कार्बन व हाइड्रोजन से मिलकर बनते हैं। (ii). इनमें सहसंयोजक बंधन होते है (iii). इनका गलनांक व क्वथनांक सामान्यतः कम होता है। (iv). ये पानी में कम घुलते हैं, पर कार्बनिक विलायकों में घुलते हैं। (v). विद्युत के अच्छे चालक नही होते हैं। (vi). प्रायः इनमें विशिष्ट गंध होती है। (vii).अधिकांश ज्वलनशील होते हैं। |
4. अणुसूत्र C₆H₁₄ वाले सभी समावयवियों को लिखें।
उत्तर : C₆H₁₄ के समावयवी -
(i). n-हेक्सेन
CH₃–CH₂–CH₂–CH₂–CH₂–CH₃
(ii). 2-मेथाइलपेन्टेन
CH₃–CH(CH₃)–CH₂–CH₂–CH₃
(iii). 3-मेथाइलपेन्टेन
CH₃–CH₂–CH(CH₃)–CH₂–CH₃
(iv). 2,2-डाइमेथाइलब्यूटेन
CH₃–C(CH₃)₂–CH₂–CH₃
(v). 2,3-डाइमेथाइलब्यूटेन
CH₃–CH(CH₃)–CH(CH₃)–CH₃
5. कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण :
➥ कार्बनिक यौगिकों की संख्या अत्यधिक होने के कारण इन्हें कुछ मुख्य आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार है
(A). ऐलिफैटिक यौगिक :
➥ ये खुले शृंखलावाले यौगिक होते हैं। इन्हें आगे दो भागों में बाँटा जाता है—
(i) संतृप्त हाइड्रोकार्बन :
➥ संतृप्त हाइड्रोकार्बन में कार्बन-कार्बन के बीच एकल बंध होता है।
(a). पैराॅफिन या ऐल्केन :
➥ इनमें केवल एकल बंधन पाए जाते हैं।
(B) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
➥ असंतृप्त यौगिक दो प्रकार के होते हैं—
(a). ऐल्कीन –
➥ ऐल्कीन में कार्बन-कार्बन द्विबंध होता है।
(b). ऐल्काइन –
➥ ऐल्काइन में कार्बन-कार्बन त्रिबंध (triple bond) होता है
(C). ऐरोमैटिक यौगिक
➥ इनमें बेंजीन या बेंजीन-सदृश चक्रीय संरचना पाई जाती है।
6. (i) क्रियाशील समूह क्या होते हैं?
(ii) निम्नलिखित यौगिक के क्रियाशील समूह के नाम और संरचना बताएँ।
ऐल्कोहॉल, ऐल्डिहाइड, कीटोन, कार्बोक्सिलिक अम्ल, एस्टर, ऐमीन, ऐल्कीन, ऐल्काइन
उत्तर : (i) क्रियाशील समूह :
➥ कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह परमाणु या परमाणुओं का समूह, जिस पर यौगिक के रासायनिक गुण निर्भर करते हैं, उसे क्रियाशील समूह कहा जाता है।
यही समूह यौगिक के वर्ग व गुणधर्म निर्धारित करता है।
(ii) दिए गए यौगिकों के क्रियाशील समूह — नाम और संरचना
यौगिक क्रियाशील समूह का नाम समूह की संरचना (Structure)
ऐल्कोहॉल हाइड्रॉक्सिल समूह –OH
ऐल्डिहाइड एल्डिहाइड समूह –CHO
कीटोन कीटोन समूह >C=O
कार्बोक्सिलिक अम्ल कार्बोक्सिल समूह –COOH
एस्टर (Ester) एस्टर समूह –COO–
ऐमीन (Amine) ऐमीनो समूह –NH₂
ऐल्कीन (Alkene) दोहरा बन्ध C=C
ऐल्काइन (Alkyne) तिहरा बन्ध C≡C
7. कार्बन के कुछ विलक्षण गुणों का उल्लेख करें तथा बताएँ कि कार्बन के यौगिकों की संख्या असंख्य क्यों हैं?
उत्तर : कार्बन एक ऐसा तत्व है जिसमें कई विलक्षण गुण पाए जाते हैं। यह स्वयं के परमाणुओं से बहुत मजबूत बंध बनाकर लंबी श्रृंखला, शाखाएँ तथा वलय बना सकता है, जिसे सहसंयोजन की क्षमता कहते हैं। कार्बन की संयोजकता चार होती है, इसलिए यह एक समय में चार अलग-अलग परमाणुओं या समूहों से जुड़कर अनेक प्रकार के स्थायी यौगिक बनाता है। कार्बन एकल, द्वि और त्रि सभी प्रकार के बंध बना सकता है, तथा इसके C–C और C–H बंध अत्यंत मजबूत होते हैं।
इन्हीं गुणों के कारण कार्बन की श्रृंखला पर विभिन्न क्रियाशील समूह जुड़ते रहते हैं और एक ही सूत्र के अनेक समावयवी बन जाते हैं। इसलिए कार्बन के यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है और इन्हें कार्बनिक यौगिकों का विशाल परिवार कहा जाता है।
8. समावयवता क्या है? विभिन्न प्रकार की समावयवता का उल्लेख उदाहरण के साथ करें।
उत्तर : समावयवता :—
➥ वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणुसूत्र समान होते हैं लेकिन भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं, समावयवी कहलाते हैं और ऐसी घटना समावयवता कहलाती है।
A . संरचनात्मक समावयवता :
➥ कार्बनिक यौगिकों के अणु में उपस्थित परमाणुओं एवं समूहों के विभिन्न प्रकार से जुड़े होने के कारण जो समावयवता होती है, उसे संरचनात्मक समावयवता कहते हैं।
ये तीन प्रकार का होता है
(i). श्रृंखला समावयवता :
➥ कार्बन की श्रृंखला में भिन्नता के कारण उत्पन्न होनेवाली समावयवता को श्रृंखला समावयवता कहते हैं।
अनुसूत्र C4H10के दो श्रृंखला समावयवता है
(ii). स्थान समावयवता :
➥ क्रियाशील समूह के स्थान में भिन्नता के कारण उत्पन्न होनेवाली समावयवता को स्थान समावयवता कहते हैं।
(iii). क्रियाशील समावयवता :
➥ जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र एक ही हों, किंतु उनमें उपस्थित क्रियाशील समूह भिन्न-भिन्न हों तो इस घटना को क्रियाशील समावयवता कहते हैं तथा ऐसे यौगिक क्रियाशील समावयवी कहलाते हैं।
B. त्रिविम समावयवता :
➥ त्रिविम समावयवियों का संरचना सूत्र समान होता है किंतु परमाणुओं एवं समूहों की स्थानिक व्यवस्था या विन्यास भिन्न होते हैं।
ये दो प्रकार का होता है
(i) ज्यामितीय समावयवता :
➥ यह समावयवता वैसे ऐल्किनों या उनके व्युत्पन्नों द्वारा प्रदर्शित होती है जिनके द्विबंध से जुड़े प्रत्येक कार्बन के साथ दो भिन्न-भिन्न समूह जुड़े हों।
वैसे समावयवी जिनमें दो समान समूह द्विबंध के एक ओर स्थित हों, सिस रूप कहलाते हैं तथा जिनमें दो समान समूह द्विबंध के विपरीत दिशा में स्थित हों, ट्रांस रूप कहलाते हैं।
(ii). प्रकाशिक समावयवत :
➥ एक कार्बन परमाणु से चार भिन्न परमाणु या समूह जुड़े हों तो ऐसे कार्बनिक यौगिक के दो प्रकाशिक समावयवी होंगे। दोनों समावयवी एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होते हैं
चार विभिन्न समूहों द्वारा जुड़े कार्बन (C) को असममित कार्बन परमाणु कहते हैं
9. एथिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र लिखकर IUPAC पद्धति में इसका नाम बताएँ तथा इसके बनाने की एक विधि बताएँ। इसके चार प्रमुख गुणों को लिखें।
एथिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र—
CH₃ — CH₂ — OH
IUPAC नाम – एथेनॉल है।
एथेनॉल बनाने की एक सामान्य विधि गुड़, गन्ने के रस या चीनी के किण्वन द्वारा होती है। यीस्ट की सहायता से ग्लूकोज़ एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
एथेनॉल के चार प्रमुख गुण इस प्रकार हैं—
(i). एथेनॉल रंगहीन, वाष्पशील तथा विशिष्ट गंध वाला द्रव होता है।
(ii). यह जल के साथ किसी भी अनुपात में पूर्णतः घुल जाता है।
(iii). यह जलने पर साफ नीली लौ देता है, इसलिए एक अच्छा ईंधन है।
(iv). यह सोडियम धातु से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है।
10. एथिल ऐल्कोहॉल से निम्नलिखित यौगिक किस प्रकार बनाए जाते हैं?
(i) ऐसीटिक अम्ल
(ii) डाइएथिल ईथर
(iii) एथिल क्लोराइड
(iv) एथिलीन
उत्तर :
(i) ऐसीटिक अम्ल :
➥ एथिल ऐल्कोहॉल को पहले अल्कोहॉल-डिहाइड में ऑक्सीकरण किया जाता है और आगे अधिक ऑक्सीकरण करने पर ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।
$CH_3CH_2OH \xrightarrow{[O]} CH_3CHO \xrightarrow{[O]} CH_3COOH$
(ii) डाइएथिल ईथर :
➥ एथिल ऐल्कोहॉल को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल (conc. H₂SO₄) की उपस्थिति में लगभग 140°C ताप पर गर्म करने से दो अल्कोहॉल अणु मिलकर डाइएथिल ईथर बनाते हैं।
$2CH_3CH_2OH \xrightarrow{conc.H_2SO_4,\, 140^\circ C} CH_3CH_2OCH_2CH_3 + H_2O$
(iii) एथिल क्लोराइड :
➥ एथिल ऐल्कोहॉल को सांद्र HCl या ZnCl₂ + HCl के साथ अभिक्रिया कराने पर एथिल क्लोराइड बनता है।
$CH_3CH_2OH + HCl \rightarrow CH_3CH_2Cl + H_2O$
(iv) एथिलीन :
➥ एथिल ऐल्कोहॉल को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ लगभग 170°C ताप पर गर्म करने पर जल अणु निकल जाता है और एथिलीन (C₂H₄) प्राप्त होती है।
$CH_3CH_2OH \xrightarrow{conc.H_2SO_4,\, 170^\circ C} CH_2=CH_2 + H_2O$
11. किण्वन क्या है? चीनी से एथेनॉल किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
उत्तर : किण्वन वह प्रक्रिया है जिसमें चीनी (शर्करा) को सूक्ष्मजीवों (ईस्ट/खमीर) की सहायता से टूटकर अल्कोहॉल (एथेनॉल) और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल दिया जाता है।
चीनी के घोल में ईस्ट (खमीर) मिलाया जाता है। ईस्ट में उपस्थित इनवर्टेज तथा जाइमेज़ (zymase) एंजाइम चीनी को पहले ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में तोड़ते हैं और फिर इन्हें किण्वन द्वारा एथेनॉल तथा कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित कर देते हैं।
$C_{12}H_{22}O_{11} + H_2O \xrightarrow{\text{इनवर्टेज}} C_6H_{12}O_6 + C_6H_{12}O_6$
$C_6H_{12}O_6 \xrightarrow{\text{जाइमेज़}} 2C_2H_5OH + 2CO_2$
12. एथेनोइक अम्ल एवं निम्नांकित के साथ होनेवाली अभिक्रियाओं का रासायनिक समीकरण दें।
(i) सोडियम
(ii) सोडियम कार्बनिट
(iii) सोडियम बाइकार्बोनेट
(iv) सांद्र H₂SO₄ की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया
उत्तर :
(i) सोडियम के साथ अभिक्रिया :
➥ एथेनोइक अम्ल सोडियम धातु के साथ अभिक्रिया करके सोडियम एसीटेट और हाइड्रोजन गैस बनाता है।
$CH_3COOH + 2Na \rightarrow 2CH_3COONa + H_2$
(ii) सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया :
➥ एथेनोइक अम्ल सोडियम कार्बोनेट से अभिक्रिया करके सोडियम एसीटेट, कार्बन डाइऑक्साइड, और जल बनाता है।
42CH_3COOH + Na_2CO_3 \rightarrow 2CH_3COONa + CO_2 + H_2O4
(iii) सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया :
➥ एथेनोइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट से अभिक्रिया करके सोडियम एसीटेट, कार्बन डाइऑक्साइड, और जल बनाता है। (CO₂ के बुलबुले दिखाई देते हैं।)
CH_3COOH + NaHCO_3 \rightarrow CH_3COONa + CO_2 + H_2O
(iv) सांद्र H₂SO₄ की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया
➥ एथेनोइक अम्ल और एथिल ऐल्कोहॉल सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में अभिक्रिया करके एथिल एसीटेट (एक एस्टर) और जल बनाते हैं। इसे एस्टरीकरण कहते हैं।
CH_3COOH + C_2H_5OH \xrightarrow{conc.H_2SO_4} CH_3COOC_2H_5 + H_2O
13. निम्नांकित पर नोट लिखें।
(i) एस्टरीकरण :
(ii) हैलोजनीकरण
उत्तर :
(ii). एस्टरीकरण :–
➥ सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल को एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एथिल ऐसीटेट बनता है जो एक एस्टर श्रेणी का यौगिक है। एस्टर बनने की इस क्रिया को एस्टरीकरण (esterification) कहते हैं।
एस्टर यौगिकों में फल-जैसी मीठी गंध होता है
(ii). हैलोजनीकरण :-
➥ विसरित सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ऐल्केन की अभिक्रिया क्लोरीन के साथ होने पर ऐल्केन के सभी हाइड्रोजन परमाणु बारी-बारी से क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
हैलोजनीकरण प्रतिस्थापन अभिक्रिया है
CH4 + Cl2 ------- CH3Cl + HCl
CH3Cl + Cl2 ------- CH2Cl2 + HCl
CH2Cl2 ----------- CHCl3 + HCl
CHCl3 + Cl2 ------ CCl4
14. क्या होता है जब
(i) ऐलुमिनियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया कराई जाती है?
(ii) कैल्सियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया कराई जाती है?
(iii) बेंजीन की अभिक्रिया सांद्र H₂SO₄ की उपस्थिति में सांद्र HNO3 के साथ करायी जाती है?
(iv) बेंजीन की अभिक्रिया Fe की उपस्थिति में CI₂ से कराई जाती है?
उत्तर :
(i) ऐलुमिनियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया कराई जाती है ऐलुमिनियम कार्बाइड जल से अभिक्रिया करके मीथेन (CH₄) तथा ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।
$Al_4C_3 + 12H_2O \rightarrow 4Al(OH)_3 + 3CH_4$
(ii) कैल्सियम कार्बाइड पर जल की अभिक्रिया कराई जाती है कैल्सियम कार्बाइड जल से अभिक्रिया करके एसीटिलीन (C₂H₂) तथा कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।
4CaC_2 + 2H_2O \rightarrow Ca(OH)_2 + C_2H_244
(iii) बेंजीन की अभिक्रिया सांद्र H₂SO₄ की उपस्थिति में सांद्र HNO₃ के साथ कराई जाती है यह नाइट्रेशन अभिक्रिया है। इससे नाइट्रोबेंजीन (C₆H₅NO₂) बनता है।
$C_6H_6 + HNO_3 \xrightarrow{conc.H_2SO_4} C_6H_5NO_2 + H_2O$
(iv) बेंजीन की अभिक्रिया Fe की उपस्थिति में Cl₂ से कराई जाती है यह हैलोजनेशन (क्लोरीनीकरण) अभिक्रिया है। इससे क्लोरोबेंजीन (C₆H₅Cl) बनता है।
$C_6H_6 + Cl_2 \xrightarrow{Fe} C_6H_5Cl + HCl$
15. साबुन और अपमार्जक में विभेद करें।
उत्तर: साबुन और अपमार्जक में विभेद
| साबुन | अपमार्जक |
|---|---|
(i). ये लंबी-श्रृंखला वाले वसा अम्ल (कार्बोक्सिलिक अम्ल) के सोडियम लवण हैं। (ii). खारे जल में इनकी कार्य-क्षमता घट जाती है; अर्थात खारे जल में ये आसानी से झाग नहीं बनाते हैं। |
(i). ये उच्च ऐल्कोहॉल के हाइड्रोजनसल्फेट व्युत्पन्न के सोडियम लवण है। (ii). खारे जल में भी इनकी कार्य-क्षमता कायम रहती है; अर्थात खारे जल के साथ भी ये आसानी से झाग बनाते हैं। |
16. ऐल्कोहॉल क्या है? यह कैसे प्राप्त होता है? उदाहरण दें। इसके प्रमुख गुणों को लिखें।
उत्तर : ऐल्कोहॉल वे कार्बनिक यौगिक हैं जिनमें एक या अधिक –OH (हाइड्रॉक्सिल) समूह सीधे कार्बन परमाणु से जुड़े रहते हैं।
ऐल्कोहॉल सामान्यतः निम्न तरीकों से प्राप्त किया जाता है—
(i). शर्करा के किण्वन से (खमीर की सहायता से)।
(ii). अल्कीनों में जल के योग से।
(iii). ऐल्डिहाइड और कीटोन के अपचयन से।
जैसे : एथिल ऐल्कोहॉल (C₂H₅OH)
मेथिल ऐल्कोहॉल (CH₃OH)
ऐल्कोहॉल के प्रमुख गुण :
(i). ये सामान्यतः रंगहीन एवं वाष्पशील द्रव होते हैं।
(ii). ये जल में आसानी से घुल जाते हैं।
(iii). इनका उबलांक अपेक्षाकृत अधिक होता है।
(iv). ये सोडियम धातु के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं।
17. साबुनीकरण प्रक्रिया क्या है? अपमार्जकों ने साबुन का स्थान क्यों ले लिया है?
उत्तर :
साबुनीकरण :—
➥ वनस्पति तेल या वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ गर्म करने से साबुन तथा ग्लिसरॉल बनता है। वनस्पति तेल एवं वसा का क्षार द्वारा जल अपघटन की क्रिया के फलस्वरूप साबुन तथा ग्लिसरॉल का बनना साबुनीकरण कहलाता है।
अपमार्जकों ने साबुन का स्थान इसलिए ले लिया है क्योंकि वे कठोर जल में भी अच्छी झाग बनाते हैं, अधिक सफाई करते हैं, दाग नहीं छोड़ते और ठंडे-गर्म दोनों प्रकार के जल में समान रूप से कार्य करते हैं। इसी कारण आज के समय में अपमार्जक साबुन की तुलना में अधिक उपयोगी और प्रभावी माने जाते हैं।
18. (i) कार्बनिक यौगिकों में होनेवाली एस्टरीकरण तथा साबुनीकरण अभिक्रियाओं में भेद करें।
(ii) एक नामांकित आरेख की सहायता से एस्टर बनाने के कार्यकलाप का वर्णन करें।
उत्तर:
(i) कार्बनिक यौगिकों में होनेवाली एस्टरीकरण तथा साबुनीकरण अभिक्रियाओं में भेद
| एस्टरीकरण | साबुनीकरण |
|---|---|
| (i).इसमें कार्बोक्सिलिक अम्ल + ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से एस्टर + जल बनते हैं। (ii). यह संयोजन (formation) अभिक्रिया है। (iii). इसमें सांद्र H₂SO₄ उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग होता है। (iv). इसका उद्देश्य एस्टर बनाना है |
(i). इसमें एस्टर + क्षार (NaOH/KOH) की अभिक्रिया से साबुन + ग्लिसरॉल बनते हैं। (ii). यह अपघटन (breakdown) अभिक्रिया है। (iii). इसमें क्षार का प्रयोग होता है, अम्ल की आवश्यकता नहीं। (vi). इसका उद्देश्य एस्टर को तोड़कर साबुन बनाना है। |
(ii). एस्टर बनाने के कार्य में पहले एक टेस्ट ट्यूब में थोड़ी मात्रा में एथेनोइक अम्ल (CH₃COOH) और समान मात्रा में एथिल ऐल्कोहॉल (C₂H₅OH) लिया जाता है। इसके बाद इसमें कुछ बूंदें सांद्र H₂SO₄ की मिलाई जाती हैं। टेस्ट ट्यूब को जल-स्नान में गर्म किया जाता है। कुछ समय बाद इसमें से मीठी फल जैसी गंध निकलने लगती है, जो एस्टर बनने का संकेत है। इस प्रकार एथेनोइक अम्ल और ऐल्कोहॉल मिलकर एथिल एसीटेट (एस्टर) बनाते हैं।
$CH_3COOH + C_2H_5OH \xrightarrow{conc.H_2SO_4} CH_3COOC_2H_5 + H_2O$
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