Class 10 Biology Chapter 3 – लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर | Transportation | Bharati Bhawan Solutions
कक्षा 10 जीव विज्ञान अध्याय 3 – परिवहन | लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर | भारती भवन समाधान"
1. पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र या पारितंत्र :—
➤ जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान, सभी एक साथ मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं।
➤ पारिस्थितिक तंत्र जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होती है।
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना :—
➤ एक पारिस्थितिक तंत्र के निम्नांकित दो मुख्य अवयव होते हैं।
(i) जैव अवयव :—
➤ जो जीवित है यानी सजीव है, जैव अवयव कहलाता है ।
जैव अवयव को निम्नांकित तीन वर्गों में बाँटा गया है।
(a). उत्पादक - जैसे हरे पौधे, जो भोजन का संश्लेषण करते हैं।
(b) . उपभोक्ता - जो पौधों और उनके विभिन्न उत्पादों को खाते हैं।
(c) . अपघटनकर्ता - ये मृत उत्पादक तथा उपभोक्ताओं का अपघटन करते हैं तथा इससे उत्पन्न पोषणों और गैसों को फिर वातावरण में छोड़ देते हैं।
(ii) अजैव अवयव :—
➤ जिसमें जीवन नहीं है यानी निर्जीव है, अजैव अवयव कहलाते है ।
अजैव अवयव तीन वर्गों में बांटा गया है
(a). भौतिक वातावरण : इसमें मृदा , जल तथा वायु सम्मिलित है
(b). पोषण :– इसके अंतर्गत विभिन्न अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ आते हैं।
(c). जलवायु :– सूर्य की रोशनी, तापक्रम, आर्द्रता, दाब इत्यादि मिलकर जलवायु का निर्माण करते हैं। जलवायु पारिस्थितिक तंत्र में जीवों की संख्या, उनके वितरण, मेटाबॉलिज्म तथा व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
2. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार होता है?
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में होता है, जिसका मूल स्रोत सौर ऊर्जा है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का केवल 1% भाग ही हरे पौधे (उत्पादक) प्रकाशसंश्लेषण द्वारा रासायनिक ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट) में परिवर्तित कर पाते हैं। इस रासायनिक ऊर्जा का कुछ भाग पौधे स्वयं अपने मेटाबोलिक कार्यों (जैसे- श्वसन) में खर्च कर देते हैं तथा कुछ भाग ऊष्मा के रूप में वातावरण में मुक्त हो जाती है। शेष ऊर्जा पौधों के ऊतकों में संचित रहती है।
जब शाकाहारी जीव (प्राथमिक उपभोक्ता) इन हरे पौधों को खाते हैं, तो यह ऊर्जा उनमें स्थानांतरित होती है। यही प्रक्रिया द्वितीयक, तृतीयक तथा अन्य पोषी स्तरों तक जारी रहती है। प्रत्येक पोषी स्तर पर केवल 10% ऊर्जा ही अगले स्तर तक स्थानांतरित हो पाती है, जबकि 90% ऊर्जा मेटाबोलिक कार्यों और ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है।
इस प्रकार ऊर्जा का प्रवाह एक श्रृंखला के रूप में होता है, जिसमें हर अगले स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा घटती जाती है। उदाहरण के लिए, यदि घास में 10,000 किलोकैलोरी ऊर्जा संचित है, तो ग्रासहॉपर को 1,000 किलोकैलोरी, मेढ़क को 100 किलोकैलोरी और सर्प को केवल 10 किलोकैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
3. पीड़कनाशी अगर अपघटित न हो तो आहार श्रृंखला में उसका क्या प्रभाव होगा?
उत्तर : यदि पीड़कनाशी जैसे DDT अपघटित न हो तो यह आहार श्रृंखला में एक जीव से दूसरे जीव में स्थानांतरित होता रहता है। इसे जैव आवर्धन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में ये विषैले रसायन निचले पोषी स्तर (जैसे- घास या कीड़े) से शुरू होकर ऊपरी पोषी स्तर (जैसे- मछलियाँ, पक्षी, मानव) तक पहुँचते हैं और धीरे-धीरे उनकी मात्रा बढ़ती जाती है।
आहार श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर जीव इसे अपने शरीर में संग्रहित करता है क्योंकि ये रसायन आसानी से बाहर नहीं निकलते। जैसे-जैसे एक उपभोक्ता दूसरे को खाता है, यह रसायन अगले जीव में अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता है। उच्च पोषी स्तर पर स्थित जीवों के शरीर में इनकी मात्रा अत्यधिक हो जाती है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे:
(i) प्रजनन क्षमता में कमी
(ii) शरीर की वृद्धि एवं विकास में बाधा
(iii) अंगों की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी
(iv) कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है
4. किसी पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता के बारे में समझाएँ।
उत्तर : उपभोक्ता :–
➤ ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते है। सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं । जंतु परपोषी भी कहलाते हैं।
उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
(i) . प्राथमिक उपभोक्ता :–
➤ ऐसे उपभोक्ता जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्पादक, अर्थात हरे पौधों को खाते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं।
सभी शाकाहारी जंतु प्राथमिक उपभोक्ता श्रेणी के होते है।
जैसे :— गाय, भैंस, बकरी, हिरण, खरगोश जैसे जंतु घास तथा अन्य हरे पौधे खाते हैं। मनुष्य और तिलचट्टा, सर्वभक्षी हैं,
द्वितीयक उपभोक्ता :—
➤ वे जो शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं । ये मांसाहारी होते हैं
जैसे : शेर, बाघ, कुछ पक्षी, सर्प, मेढ़क,
तृतीयक उपभोक्ता :—
➤ वे जो द्वितीयक उपभोक्ता को खाता है, वह तृतीय श्रेणी का उपभोक्ता कहलाता है।
जैसे : सर्प जब मेढ़क ( द्वितीयक उपभोक्ता ) को खाता है ।
5. ओजोन छिद्र से आप क्या समझते हैं? यह कैसे उत्पन्न होता है? इससे होनेवाली हानियों के बारे में लिखें।
उत्तर : ओजोन छिद्र से तात्पर्य है वायुमंडल की ओजोन परत में होने वाली असामान्य कमी या छिद्र। यह विशेष रूप से पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों, विशेषतः अंटार्कटिका के ऊपर पाया जाता है।
ओजोन परत का क्षय मुख्यतः क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हैलोन, कार्बन टेट्राक्लोराइड और अन्य ओजोन-नाशक रसायनों के कारण होता है। जब ये रसायन वायुमंडल की ऊपरी परत (stratosphere) में पहुँचते हैं, तो सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें इन्हें तोड़ती हैं, जिससे क्लोरीन और ब्रोमीन मुक्त होते हैं। ये मुक्त अणु ओजोन के अणुओं (O₃) को तोड़ देते हैं।
ओजोन छिद्र से होनेवाली हानियाँ:
(i) ओजोन परत के क्षय से हानिकारक पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी तक पहुँचती हैं। पराबैंगनी किरणों के संपर्क से त्वचा का कैंसर, सनबर्न, और झुर्रियाँ बढ़ती हैं।
(ii) पराबैंगनी किरणों पौधों की प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं जिससे कृषि उत्पादन घट सकता है।
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